The Basic Principles Of Hindi poetry
The Basic Principles Of Hindi poetry
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जीवन पाकर मानव पीकर मस्त रहे, इस कारण ही,
बनी रहे वह मदिर पिपासा तृप्त न जो होना जाने,
नशा न भाया, ढाला हमने ले लेकर मधु का प्याला,
मैं तुझको छक छलका करता, मस्त मुझे पी तू होता,
हाथों में अनुभव करता जा एक ललित कल्पित प्याला,
धूमधाम औ' चहल पहल के स्थान सभी सुनसान बनें,
सुन, रूनझुन रूनझुन चल वितरण करती मधु साकीबाला,
पीकर जिसको चेतनता खो लेने लगते हैं झपकी
इतनी पी जीने से अच्छा सागर की ले प्यास मरुँ,
मैं शिव की प्रतिमा बन बैठूं, मंदिर हो यह मधुशाला।।१९।
मैंने देखा है अभी अभी उसने बिक्रम के प्राण लिए जल्दी बोलो read more क्या करना है घनघोर घटा घिर जाएगी छिन गया उदय हाथों से यदि मुख पर कालिख लग जाएगी
भरता हूँ इस मधु से अपने अंतर का प्यासा प्याला,
हरे हरे नव पल्लव, तरूगण, नूतन डालें, वल्लरियाँ,
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